राह चलते कितनी सारी फ्रेम्स होती हैं
जैसे बुलाती हो लेने को तसवीरें
बारिश से फिसलन बने फुटपाथ पर
ज़ंग चढ़े बेंच पे बैठे
एक बच्चा अपने पापा का फोन देखता हैं
उसके चेहेरे से लगता हैं जैसे 'स्नेक' खेल रहा हो
कहीं एक चाची अपनी तेज़ स्कूटी से हवा काटती हैं
उनके सामने रखे थैली से झांकती हैं हरी सब्जियां
और पिलियन सीट पे उलटा बैठा होता है एक शैतान बच्चा
पुरे रास्तें को अपनी मैण्डक जैसी आखों में समाए हुए
मेन रोड के किसी गली में
अपनी बाइक लगाके एक लड़का
बातें करता हैं एक स्कार्फ से मूह ढके लड़की के साथ
लड़का टालता हैं लड़की की आखों में झांकना
यूँहीं आने जाने वाली गाड़िया देखता हैं
पीले अमरुद से आधी भरी एक टोकरी सायकल के कॅरिअर को बांधे, एक फलवाला नुक्कड़ पर खड़ा दिखता हैं
दोपहर का खाना खाकर जैसे एक सिगरेट जलानें की सोच रहा हो
वैसे एक एक करके तस्वीरें निकाली हैं मैंने इनकी
लेकीन जो रौनक लाती हैं ये फ्रेम्स रास्तों को
काश कोई कॅमेरा उसे कॅप्चर कर सकता