Friday, August 3, 2012

ओस


वो फूल और पत्ते, ओस में भीगे
वो नीम के टेहेनी पे पंछी हैं जागे

मैं छूता हूँ बुन्दोको हथेली पे लेने
लमहा वो छलके यादों में खोने